बीती रात कमल दल फूले
बीती रात कमल दल फूले
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बीती रात कमल दल फूले,
सुबह हुई उजियारा छाया,
पेड़ों ने भी ली अंगड़ाई,
बहने लगी सुरीली पुरवाई,
चहंक उठीं चिड़ियाँ चारों ओर,
मोर भी करने लगा नृत्य झूम-झूमकर,
कल-कल बहने लगीं नदियाँ प्यारी,
ॐ की ध्वनि का लगा स्वर गूँजने,
मंदिरों में बजने लगी घंटियाँ प्यारी,
चहुँ ओर लोग लगे भागने-दौड़ने,
हरी घास भी लगी इतराने,
स्कूल का समय हो चला अब,
उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब,
बीती रात कमल दल फूले........
मौलिक रचना
नूतन गर्ग (दिल्ली)