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Nutan Garg

Abstract

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Nutan Garg

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बीती रात कमल दल फूले

बीती रात कमल दल फूले

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बीती रात कमल दल फूले,

सुबह हुई उजियारा छाया,

पेड़ों ने भी ली अंगड़ाई,

बहने लगी सुरीली पुरवाई,

चहंक उठीं चिड़ियाँ चारों ओर,

मोर भी करने लगा नृत्य झूम-झूमकर,

कल-कल बहने लगीं नदियाँ प्यारी,

ॐ की ध्वनि का लगा स्वर गूँजने,

मंदिरों में बजने  लगी घंटियाँ प्यारी,

चहुँ ओर लोग लगे भागने-दौड़ने,

हरी घास भी लगी इतराने,

स्कूल का समय हो चला अब,

उठो लाल! और नहीं स्वप्न की बारी अब,

बीती रात कमल दल फूले........


मौलिक रचना

नूतन गर्ग (दिल्ली)



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