जहां मैंने जन्म लिया
जहां मैंने जन्म लिया
परी! मेरी प्यारी सखी,
जाती तू होगी रोज़ वहां,
जहां मैंने जन्म लिया,
बता! मुझे सब कैसे है वहां पर?
याद मुझे वहां की आती है बहुत।
काश! मेरे भी लगे होते पर,
जाती रोज़ मैं भी वहां पर,
खेलती घर के बड़े आंगन में,
खुले आसमान तले,
प्रदूषणमुक्त वातावरण में।
वो मेरे द्वारा बोए हुए बीज,
अब तो बन गए होंगे पेड़,
मीठे फल भी तो लगते होंगे उन पर,
आशियाना चिड़ियों का भी तो,
बन गया होगा उन पेड़ों पर।
जहां मैंने जन्म लिया,
लौटकर फिर न जा पाई वहां,
जहां की संकरी गलियां,
पुकार रही है आज भी मुझे,
काश! पंख लगाकर उड़ जाऊं वहां।