आई होली झूम के
आई होली झूम के
झूम के होली ऐसी आई.....
फाल्गुनी रंगों से धरती पर है,
सजी रंग बिरंगी रंगोली,
पुलकित हुई पुरवाई,
तन पुलकित, मन हर्षित,
मौसम ने भी ली अंगड़ाई।
झूम के होली ऐसी आई...
वन-उपवन सब महक उठे,
बहे-बयार सुवासित,
रंग-बिरंगे फूल खिले,
कलियों ने भी अँखियाँ हैं खोली,
महक उठी सभी दिशाएँ।
झूम के होली ऐसी आई...
नख-शिख भीग रहे रंगों से,
उमंग है मन में ऐसी छाई,
वर्ष भर जोहते बाँट सभी,
उल्लसित हैं सभी दिशाएँ,
हर चेहरे पर लिए मुस्कान।
झूम के होली ऐसी आई...
कभी रूठे थे तनिक बात पर,
जो मित्र हमारे प्यारे,
दूर करेंगे गले-शिकवे सब,
मिलकर गले दुबारा,
रंग गुलाल ले हाथों में,
झूम के होली ऐसी आई...
कोरोना की मार झेलते,
कर रहे सुविचार सारी मानवजाति,
मिलना न होगा इस साल भी अब तो,
ऑनलाइन ही होली खेलन जाएं,
तो ही रहेगा सबके हित में।
झूम के होली ऐसी आई...
