STORYMIRROR

जीत को तू अपना मुकद्दर बना ले

जीत को तू अपना मुकद्दर बना ले

1 min
29.3K


सफ़र की मुश्किलों को हमसफ़र बना ले

मंजिल की ख़्वाहिशों को रहगुज़र बना ले

शिकस्त को मिले खुद शिकस्त तुझसे

कद को अपने तू इस कदर बढ़ा ले

इरादों से पूरा कर हर सपना यहाँ

जीत को तू अपना मुकद्दर बना ले। 

गिरता हुआ, उठता हुआ, संभलता हुआ

ज़ख्मों की ना कोई परवाह करता हुआ

दिल की ज़मीं पे ख्वाबों का घर बना ले

हौसलो को मिले खुद हौसले तुझसे

वज़ूद को अपने तू इस कदर बढ़ा ले

कोशिशों से सच कर हर सपना यहाँ

जीत को तू अपना मुकद्दर बना ले।

टूटता हुआ, बनता हुआ, बिगड़ता हुआ

नाकामियों से हर पल कुछ सीखता हुआ

मुठ्ठी में अपनी ये सारा जहान बसा ले

शिकस्त को मिले खुद शिकस्त तुझसे

हद को अपनी तू इस कदर बढ़ा ले

आशाओं से पूरा कर हर सपना यहाँ

जीत को तू अपना मुकद्दर बना ले।।

 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational