घर में घुसकर मारेंगे
घर में घुसकर मारेंगे
सुन बे नापाक पड़ोसी तुझे हम अब और मौका नहीं देंगे
खत्म हुई मोहलत तेरी अब तो बस घर में घुसकर मारेंगे।
सालों से तू हमारे सब्र को हमारी कमज़ोरी समझता रहा
खुल्लम-खुल्ला हमेशा चोरी करके सीना-जोरी करता रहा।
अपने हालात के लिए तू खुद जिम्मेदार है
दहशत का गढ़ तू पूरे इस्लाम का गद्दार है।
ना तो तुझे मासूम बच्चों की चीखें सुनाई देती हैं
ना ही अपनी आवाम की बदहाली दिखाई देती हैं।
सत्तर सालों से एक पागल कुत्ते की तरह भौंक रहा है
साड्डी जनता को भुखमरी दहशतगर्दी में झोंक रहा है।
नित नये रंग बदलकर जंग की गीदड़ भभकी देता है
हर बार हाथ मिलाने के बहाने पीठ में छूरा घोंपता है।
कुत्ते की पूँछ न तो कभी सीधी हुई न ही कभी होगी
अब तो तेरी हालत बस कुछ इसी तरह पतली होगी।
सुन बे नामुराद पड़ोसी अब तुझे हम और मौका नहीं देंगे
खल्लास हुआ सब्र हमारा अब तो यूँ ही घर में घुसकर मारेंगे।