ख्वाहिशों को जिंदा रहने दो
ख्वाहिशों को जिंदा रहने दो


ख्वाहिशों को जिंदा रहने दो
खुद को वक्त के साथ बहने दो
हर ज़ख्म भर जाएगा कभी
बस उन्हें लोगों से छिपे रहने दो
दिख गया जो घाव अगर
कुछ नमक का फायदा उठाएंगे
हां वक्त भी ज़ख्म भरता है
कुछ लोग मरहम भी लगाएंगे
तुम खुद को ख़ुदा से जोड़े रखो
तोड़ने वाले तो काफी मिलते हैं
मुरझाया फूल गिर जाए तो क्या
तभी तो नए फूल फिर से खिलते हैं
बस इस वक्
त खुद को संभाल लो
जब साथ कोई खड़ा नहीं है
मजबूत है लोग हालातों से पर
इंसान वक्त से बड़ा नहीं है
तुम चुप रहो पर ख्वाहिशों को
कभी तो शोर करवाना होगा
सपने तेरे अभी मरे नहीं है
उन्हें पूरे कर के अब दिखाना होगा
कहने वाले तो कहते ही रहेंगे
उन्हें अपनी बातें कहने दो
हर ज़ख्म भर जाएगा कभी
बस उन्हें लोगों से छिपे रहने दो
इसलिए ख्वाहिशों को जिंदा रहने दो