हंगामा है हर तरफ़
हंगामा है हर तरफ़
हंगामा है हर तरफ़, कौन सही और कौन गलत
अंदर आग बाहर बरफ़, कौन सही और कौन गलत।
ये लिखू के वो लिखू, समझ नहीं आता कुछ भी
सहमे हुए सारे हरफ़, कौन सही और कौन गलत।
किस किस से बचेगी भला अब इंसानियत यहां
ये भेड़िया वो जरख, कौन सही और कौन गलत।
वसीयत सौंपी थी जिसे, वही जलाने लगा है घर
सदमे में है सारा शहर, कौन सही और कौन गलत।