सत्य
सत्य
एक रंगमंच के पात्र हैं सब,
कलाकार कमाल हैं सब,
सभी का आना भी निश्चित
सभी का जाना भी निश्चित
सब कुछ यहां हैं शाश्वत
जीवन का हर मूल्य शाश्वत
न कुछ लाये न कुछ लेना
धरा का सब धरा पर रहना
अमूल्य है यह जीवन धारा
प्रेम का खजाना सारा
बहुमूल्य उपहार प्रकृति का खजाना
पर हमने इसे कभी न माना
आओ जीये प्रकृति संग
सीखे कुछ अमूल्य रंग
इन रंगों में खुद रम जाए
खुद चमके वसुधा चमकाए
आये यहाँ सब धरा जगमगाने
गीत प्रसन्नता के गाने
आओ कुछ नया गीत बनाये
सुगंधित मलय आज चलाये
वैचारिक क्रांति कुछ ऐसी लाये
खुद बने औरों को बनाये
वसुधैव कुटुम्बकम का गीत गाये
वसुधा का कण कण जगमगाये।।