नारीशक्ति
नारीशक्ति
नारी का है अद्भुत जन्म धरा पर,
इनकी शक्ति न्यारी है।
इतिहास गवाह है इस धरती पर,
तुम रणबाकुरों पर भारी है।।
तुम ममता की अपार मूर्ति,
तुम श्रद्धा की देवी हो।।
तुमसे जग का सार जुड़ा है,
तुम धरा की अनमोल धरोहर हो।
जिस गृह में सम्मान हो तेरा,
वह घर खुशियों से भरी रहे।
जहां न आदर तुम सम्मानित हो,
उसका सर्वनाश सुनिश्चित है ।
क्यों विचलित होती हो नारी,
अपनी शक्ति का ध्यान धरो ।
कर सिंह नाद तुम दुष्टों पर,
अब तो तुम हुंकार भरो।
ले रणचंडी का विकराल रूप,
तुम दुष्टों का संहार करो।
रे रे मानव अब भी सम्भल जा,
इस नारीशक्ति को पहचानो तुम।
इनके है अनगिनत रूप,
इनको न आँको तुम।
लो पर्ण आज रे मानव तुम,
सदा नारी का सम्मान करोगे।
न होने दोगे अपमानित इनको,
न कभी अपमान करोगे।