यादें
यादें
बहुत पुरानी बात है, करते राजा राज,
जनहित में काम किये, जन बड़ा नाज,
लंबे समय तक वो रहे, पर नि:संतान,
रानी सोच-सोचकर, हो चली बेजान।
बहुत से देखे रानी ने, जीवन में बंसत,
पर समस्या जस की तस, हुआ न अंत,
कभी देखते चांद को, कभी देव पुकार,
हुई संतान जब, मान गये दोनों ही हार।
पर बहुत चाहते दोनों, अजब गजब प्यार,
दर्द में डूबे रहने लगे, चिंता बढ़ी हजार,
राज पाट सूना लगे, प्रजा की बढ़ी चिंता,
रानी एक दिन चल बसी, बन गई चिता।
अब तो राजा की हालात, देखी नहीं जाती,
बिस्तर पर रानी अब, सोई नजर आती,
राजा भी चल बसे, हुआ दुखद ही अंत,
प्रजा अति दुखी, दुखी थे मुनि और संत।
राजा रानी की प्रतिमा, आज यहां बोलती,
पुत्र बिन दर्द क्या हो, राज यही खोलती,
राजा रानी की याद, आज दिलों में बसती,
लगे राजा है हँस रहा, कभी रानी हँसती।