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Madhurendra Mishra

Abstract

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Madhurendra Mishra

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प्यार का बयान

प्यार का बयान

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प्यार किया है तुमसे इतना 

जितना सागर गहरा है,

तेरी जुल्फों के आगे तो

वक़्त भी आकर ठहरा है।


तुम पास नही होती तो दिल में

हलचल सैकड़ो-हज़ार हैं,

तेरे आने से ही तो

मेरे जीवन में बहार है।


सोचता हूँ बोल दूँ कि

चाहत-ए-इश्क़ हो तुम,

इस दो पल जिंदगी में

मेरी इकलौती फ़िक्र हो तुम।


तुम शायद चली जाओगी एक दिन

इस बात का डर है,

वरना तो बसना वहीं है

जहाँ तुम्हारा नगर है।


तेरी यादों में एक नशा है

जो हमने मुफ्त में लिया है,

तुझसे हर वक़्त गम लेकर

खुशी का तोहफ़ा तुम्हें दिया है।


प्यार का इज़हार करने का मन तो है,

तुम किसी और कि हो उस बात से जलन तो है।


लेकिन वो तुम्हारे प्यार की कद्र नही करता,

वो तुम पर हमारी तरह नही मरता।


सच कह दिया तुमसे हमने

जवाब तुम्हारा काम है,

तुमसे ही मेरे जीवन की

सुबह और शाम है।


कवि के आँसू आ गये

वो रो रहा है,

कहीं हमेशा के लिए खो न दे उसे

इस बात से बेकाबू हो रहा है।


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