प्यार से ना कोई बढ़कर
प्यार से ना कोई बढ़कर
प्यार तो सार है जीवन का
प्यार से ना कोई बढ़कर
प्यार को कोई नाम न दो
यह एक अहसास चढ़कर।
दो दिलों के धड़कन में
भूल जाता है सारा समा
दिल और धड़कन एक ही
ये कैसा दिल का आसमां
इस गजब दुनिया में
प्यार का सफर है जोरो पर
इसे जो समझे वही
इस प्यार को लेता है सर पर
प्रेम पीर की दुनिया का
अन्जानसा ये अफ़साना
प्यारको कोई इल्ज़ाम न दो
कण-कण इसका दिवाना
रिश्ता न कोई नाता ना कोई
फिर भी वो अपना लगता है
उसकी ही यादों में अक्सर
सारा जहां जगमगाता है।
कैसा है वो ना हमने देखा
फिर भी हमें उसका खयाल है
ख्वाबों में महसूस किया है
प्यार को तिलस्मी मान लिया है।