आई होली आई उड़ा गुलाल है
आई होली आई उड़ा गुलाल है
आई होली आई उड़ा गुलाल है झूम -झूम कर रंगों की आई बहार है कैसा यह मतवाला फागुन का महीना चारों ओर ख़ुशियों का आया त्योहार है। अंबिया महका, पलाश महका महका सारा नज़ारा है कोयल गीत गाये बाजे ढोल ताशे जन-मन में उमंगे जागी जागी है। पुलकित तन-मन रंगों का नूर छाई अधर-अधर मुस्कान है धरती हुयी रंगों में मशहूर है सब भूल गये उदासी के सुर है। झूम रही है पेड़ो की डालिया महक रही है फूलों की बगिया वारी-वारी नव रंगों की थारिया सब गले मिले हमजोली सखियां। होली उत्सव है रंगों का त्योहार गुलाल फैले ऊँचे आसमान छोटे बड़े सब हुड़दंग मचाये कोई घोले ठंडाई मनभावन..
