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Meenakshi Kilawat

Romance Classics

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Meenakshi Kilawat

Romance Classics

ग़ज़ल- *रात भर ख्वाब ही न जाते हैं*

ग़ज़ल- *रात भर ख्वाब ही न जाते हैं*

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 ग़ज़ल- *रात भर ख्वाब ही न जाते हैं* 2122,1212, 22----2 *रात भर ख्वाब ही न जाते हैं* *ख्वाब में तुम हमें सताते हो।* *याद आती मगर न जाती है* *रात भर करवटें दिलाते हो।* *चाँद तारे ज़मीं उतर आएं* वो हँसी रात फिर बुलाती हैं* *वक़्त फिरसे निकल न जाए वो* *आज ख़ुशियाँ चलो मनाते हैं* *धूल मे फूल मिल रहा मेरा* *छाॅंव अपनी इसे जरा दे दो* *मै नदी तुम बनो समंदर तो* *गीत प्यार के मिलकर गाते हैं।* *हौसले टूट के जुड़ें कैसे* *फासले ही न मिट सके अब तक* *दिलकि ख्वाहिश कभी पुरी होगी* *फांसले भी मिट रह जाते हैं।* *अज्म हर एक आज हम अपने* *वार देंगे सनम हम मुहब्बत में* *ज़िंदगी मान के तुम्हें अपनी* *अश्क हम रात भर बहाते हैं।* *तुम सलामत रहो दुआ करते* *रात भर आह भी भरा करते* *चाहते हैं तुम्हें दिलो जां से* *इसलिए उल्फतें निभाते हैं।* *मीनाक्षी किलावत (अनुभूति)*  


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