STORYMIRROR

राही अंजाना

Romance

3  

राही अंजाना

Romance

हुनर की उड़ान

हुनर की उड़ान

1 min
308

मैं खो भी जाऊँ तो मुझे ढूंढने मत आना तुम,

और आना तो किसी को बोल के न आना तुम,


बड़ी देर लग गई है मुझे यहां समझदार होने में,

अब प्यार भरी बातों में मुझे न उलझाना तुम,


सीखा हूँ बस अभी हुनर की बौनी उड़ान भरना, 

ज़मी से ज़रा उठ जाऊँ तो मुझे न बतलाना तुम,


बना चुका हूँ पहचान इस ज़ालिम जमाने में अपनी,

गुजारिश है मुझे मजहब मेरा न दिखलाना तुम।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance