STORYMIRROR

राही अंजाना

Abstract

3  

राही अंजाना

Abstract

सुफल

सुफल

1 min
138

खबर जो पास थी तुम तक क्यों पहुंचा हम नहीं पाए।

जो देखा तुमको तो अश्रु क्यों हम से थम नहीं पाए।

जो की लंबी प्रतीक्षा का सुफल पाना जरूरी था,

लगी हम को भी ठोकर पर कभी मरहम नहीं पाए।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract