स्वतंत्र विचार
स्वतंत्र विचार
शब्दों का है खेल निराला, सबकुछ जैसे गड़बड़ झाला,
हिंदी उर्दू गजल सजल में उलझी क्यों कवियों की माला,
स्वतंत्र विचार स्वतंत्र कलम पर लगता क्यों प्रश्नों का गाला,
काफ़िये रंग रदीफ़ अंग से बनता जब एक सुंदर प्याला।।
शब्दों का है खेल निराला, सबकुछ जैसे गड़बड़ झाला,
हिंदी उर्दू गजल सजल में उलझी क्यों कवियों की माला,
स्वतंत्र विचार स्वतंत्र कलम पर लगता क्यों प्रश्नों का गाला,
काफ़िये रंग रदीफ़ अंग से बनता जब एक सुंदर प्याला।।