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Shilpi Srivastava

Abstract

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Shilpi Srivastava

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लोकतंत्र

लोकतंत्र

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डरो मत,

अपने सपनों को उड़ान भरने दो,

कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, 

तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो।


यह तानाशाही तुम्हें मजबूर कर देगी, 

तुम्हारी सोचने समझने की शक्ति हर लेगी,

जो ये कहें, 

जरूरी नहीं तुम उसी में हामी भरो,

अपने नज़रिए को भी अपना काम करने दो, 


डरो मत, 

अपने सपनों को उड़ान भरने दो।

इन लोगों का क्या है ?

ये तो अपने स्वार्थ के लिए

कुछ भी करने को तैयार हैं, 


बड़े-बड़े ख्व़ाब दिखाकर हमारी

उम्मीदों को भी तोड़ने को बेकरार हैं, 

यह लोकतंत्र है, 

कोई तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता,

तुम्हारे समझौते को कोई तुम्हारी

कमज़ोरी नहीं बता सकता, 


इन्हें पता नहीं हमारी ताकत, 

ये सोचते हैं,

ये तो बस भोली-भाली जनता है

भला इनकी कहीं कौन सुनता है ?


तुम अपनी अपूर्व शक्ति को पूरी पहचान लेने दो 

डरो मत,

अपने सपनों को उड़ान भरने दो,

कुछ कहना चाह रही है अगर ज़ुबाँ, 

तो खुलकर उसे अपनी बात कहने दो।


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