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Dr.Shilpi Srivastava

Abstract

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Dr.Shilpi Srivastava

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हमदर्द

हमदर्द

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इस दुनिया के लोगों को,

हर दर्द बताना ठीक नहीं,

खुद अपने आंसू पी जाओ,

हमदर्द बनाना ठीक नहीं,


        तेरी पीड़ा में खुश होकर,

        खुशियों के दिए जलाते हैं,

        मुख से तो दुःख व्यक्त करें,

        पर मन ही मन मुस्काते हैं,


ऐसे खुदगर्ज़ जमाने को,

हमराज़ बनाना ठीक नहीं,

खुद अपने आंसू पी जाओ,

हमदर्द बनाना ठीक नहीं ।



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