मौन
मौन
श्रद्धाञ्जलि देकर उन्हें क्या पूर्ण मक़सद हो गया?
इतना ही क्या कर्तव्य था बस 'मौन' यह जग हो गया?
'मौन' रहने से नहीं अब शान्त होगी आत्मा,
उन चिता की 'लौ' के संग हो दुश्मनों का खात्मा;
माँ-पिता-भाई-बहन का खो गया है आसमाँ,
पुत्र-पुत्री-संगिनी का खो गया सारा जहाँ;
हैं सभी मायूस क्यों धोखा दिया उन बुज़दिलों ने ?
'मौन हमला' क्यों किया ग़र दम नहीं था बाज़ुओं में?
अब तो बस यह चाहिए कि तोड़ दें सब 'मौन' अपना,
एक स्वर में मिलें हो वीरता का पूर्ण सपना।