राजनीति
राजनीति
राजनीति किसको कहते हैं?
शायद यह सब भूल गए,
सकारात्मक पहलू तज कर
राजनीति में डूब गए;
राजा द्वारा मान्य नीति जो,
जनहित में स्वीकृत होती ,
राजनीति उसको कहते थे,
जो न कभी धूमिल होती;
किन्तु आज यह अर्थ तनिक भी,
राजनीति का रहा नहीं,
अपना ही उल्लू सीधा हो,
दूजे का हो भला नहीं;
राजनीति में लिप्त हैं जो वे,
अनुचित इसे न मानेंगे,
देश भले ही गर्त में जाए,
सत्ता ही बस चाहेंगे ।