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Sudhir Srivastava

Tragedy

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Sudhir Srivastava

Tragedy

हताशा धीमा जहर

हताशा धीमा जहर

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जीवन में हताशा कभी न कभी आ ही जाती है

पर हमें हताशा से बचना ही नहीं

बचकर रहना भी है, 

इसके लिए कुछ भी करना है।

बस सबसे पहले खुद पर विश्वास करना है

हताशा से दो दो हाथ करना है 

एकाकीपन से बचना है

अपने परिवार, मित्रों, शुभचिंतकों से

अपनी हताशा के कारणों पर

संवाद बनाए रखना है।

आपको शायद पता हो या न हो

हताशा खुद में धीमा जहर है

जो धीरे धीरे बढ़ता जाता है

एक समय ऐसा आता है 

कि ये हताशा जहर बन जाता है

इसलिए बुद्धिमानी यही है

हताशा रुपी धीमा जहर

आपके जीवन में घुलने लगे

हताशा को पनपने ही न दीजिए

हौसला बुलंद रखिए, जीवन से प्यार कीजिए

अपनी इच्छा शक्ति को मजबूत कीजिए

और हताशा को खुद से कोसों दूर रखिए। 



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