आशीष तेरा शापित जीवन है
आशीष तेरा शापित जीवन है
वरदानों की राशि मिली है
किन्तु यहां पर कमी खली है
जो भी पाया मात्र अधूरा
कभी न पाया कुछ भी पूरा
खुला हुआ हूं पर बंधन है
आशीष तेरा शापित जीवन है
ज्ञान मिला तो सदा अधूरा
कलम मिली तो वाक्य न पूरा
लिखूं सुनहरा पढूं गलत सब
सरस्वती आंचल छूटा अब
हुआ अनाथ तेरा यह तन है
आशीष तेरा शापित जीवन है।।
कृपा मिली तो सब कुछ छूटा
छवी सजी तो दर्पण टूटा
दिया जननी जो भी मुझको
उससे ज्यादा मेरा लूटा
सुख के घर इस दुख सावन है।।
भूल न जाना तू इसको रे
साथ न तेरे भजे जिसको रे
गेंद बनाकर खेल रही हैं
धोखे में बस ढाल रहीं हैं
तेरा हो तेरा न धन है।।
दिया यदि तो पूरा देती
नहीं था देना पूरा लेती
जो कुछ संग है सब अर्पण है
मुझको बस दे दो जो तन है
सब ले लो कुछ नहीं चाहिए
घूमूं पागल बन जो वन है।।
शुभ हैं कर्म मगर फल खोटे
है संघर्ष बड़ा फल छोटे
वो अन्याय या न्याय किया है
जो यह शापित जन्म दिया है
खुश मन पर उससे अनबन है।
