आचार्य आशीष पाण्डेय
Horror Action Classics
जीवन है अभिशाप जगत में
भूलूं कितना पाप जगत में
राग, द्वेष तम पुंज अनारत
विन नाप जगत में तेजी से बढ़ रहा है।।
अरण्य
शीर्षक--प्यार...
बहुत देर से आ...
जीवन
जन्महेतु
अपना दोष
राजनीति
प्रिय
मित्र
सीप
कैसे जीवन जीऊंगी अब, काँप रही जीवनदान से। कैसे जीवन जीऊंगी अब, काँप रही जीवनदान से।
आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है। आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है।
उस बच्ची ने अपनी मां को इशारा करके बताया कि यह रास्ता उसके गांव की तरफ जाता है। उस बच्ची ने अपनी मां को इशारा करके बताया कि यह रास्ता उसके गांव की तरफ जाता है।
मैं एक डरावना सपना देखकर जाग गया... मैं बहुत भयभीत हो चुका था ! मैं एक डरावना सपना देखकर जाग गया... मैं बहुत भयभीत हो चुका था !
उस यात्री को तुम सा हमसफ़र चाहिए, उस राह को तुझ सा एक राहगीर चाहिए। उस यात्री को तुम सा हमसफ़र चाहिए, उस राह को तुझ सा एक राहगीर चाहिए।
कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर। कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर।
सिर्फ इस एक लम्हे में मौत आंखों के सामने से यूं गुजरी थी, सिर्फ इस एक लम्हे में मौत आंखों के सामने से यूं गुजरी थी,
चाबी ना जाने कहां रख दी मैंने, ऐसा होगा, रात दिमाग में ना आया होगा.. चाबी ना जाने कहां रख दी मैंने, ऐसा होगा, रात दिमाग में ना आया होगा..
पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख्म पहुंचा। पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख...
वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II
दोस्तों से बिना डरें देखने की शर्त लगा कर हार जाती दोस्तों से बिना डरें देखने की शर्त लगा कर हार जाती
मुर्गे निकले अकड़ अकड़ कर, पर्दा उसने खोला।। मुर्गे निकले अकड़ अकड़ कर, पर्दा उसने खोला।।
बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था। बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था।
यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते हैं। यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते हैं।
मगर उससे भी डरावना होता है घुल- मिल कर बहुत दूर चले जाना , मगर उससे भी डरावना होता है घुल- मिल कर बहुत दूर चले जाना ,
एक कदम जमीन में पैर रखने के ख्याल से ही डर लगता है एक कदम जमीन में पैर रखने के ख्याल से ही डर लगता है
बात 2 बरस पुरानी है, लेकिन बड़ी भयावह कहानी है. बात 2 बरस पुरानी है, लेकिन बड़ी भयावह कहानी है.
बात लगभग 90 वर्ष पूर्व की है,मेरा तो जन्म भी नहीं हुआ था। बात लगभग 90 वर्ष पूर्व की है,मेरा तो जन्म भी नहीं हुआ था।
वो बूंदें कैसी थी जिन पर दर्पण भी शोक मनाता है, वो बूंदें कैसी थी जिन पर दर्पण भी शोक मनाता है,
मेरे अंदर उसका डर रहता है क्यों वो केवल साया रहता है।। मेरे अंदर उसका डर रहता है क्यों वो केवल साया रहता है।।