आचार्य आशीष पाण्डेय
Horror Action Classics
जीवन है अभिशाप जगत में
भूलूं कितना पाप जगत में
राग, द्वेष तम पुंज अनारत
विन नाप जगत में तेजी से बढ़ रहा है।।
अरण्य
शीर्षक--प्यार...
बहुत देर से आ...
जीवन
जन्महेतु
अपना दोष
राजनीति
प्रिय
मित्र
सीप
हवा की सरसराहट के बीच, कुछ आवाज़ बाहर से थी आई तन ठिठुरा, हाथ कांपते, फिर मैंने भी एक हवा की सरसराहट के बीच, कुछ आवाज़ बाहर से थी आई तन ठिठुरा, हाथ कांपते, फिर मैं...
यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है कभी अम्मी जैसा ख़्वाब ... यह नज़ारा देख रही औरत की नन्ही बच्ची सबक ले रही है और मन ही मन तय कर रही है क...
पर इस घटना ने दोनों के दिमाग पर गहरा असर किया है। पर इस घटना ने दोनों के दिमाग पर गहरा असर किया है।
यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते हैं। यह मंदिर इतना सुंदर बना है। कि इस मंदिर को राजस्थान का खजुराहो कहते हैं।
सुनसान सड़क तेज हवाएंँ हो रही थी बारिश की बौछार। सुनसान सड़क तेज हवाएंँ हो रही थी बारिश की बौछार।
आती उसके समक्ष सफ़ेद रौशनी मेरी रूह से... आती उसके समक्ष सफ़ेद रौशनी मेरी रूह से...
त्रेता में श्रीराम तब आये थे, त्रेता में श्रीराम तब आये थे,
पर उन्हें तोड़ आगेे बढ़ने पर वह हमको सलामी दे जाएगा। पर उन्हें तोड़ आगेे बढ़ने पर वह हमको सलामी दे जाएगा।
खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले। खून की प्यासी उसकी आत्मा किसी मासूम को अपना शिकार न बना ले।
बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था। बचपन से जिस भूतिया जंगल के बारे में सुनता आ रहा था।
वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II वो सन्नाटा वो डरावनी बरसात की रात आज भी याद है मुझे, आज भी याद है मुझे II
गुत्थी सुलझ ना पाई आज तक उस रहस्यमयी रात की। गुत्थी सुलझ ना पाई आज तक उस रहस्यमयी रात की।
नींद आती होगी कि नहीं॥ नींद आती होगी कि नहीं॥
पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख्म पहुंचा। पर भूल गई थी कि दिल तो मेरा हमेशा से ही बच्चा है जी , सह नहीं सकता किसी को जख्म...
कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर। कृपा निधान कृपा करो हम सब पर, प्रभु अब तो लगता है बहुत हमें डर।
मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया मरहम को इंकार करता वो देश और ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की ओर चली दुनिया
लबों से उफ्फ ना करती थी, आँखें तूने उसकी कभी पढ़ी न थी। लबों से उफ्फ ना करती थी, आँखें तूने उसकी कभी पढ़ी न थी।
उस बच्ची ने अपनी मां को इशारा करके बताया कि यह रास्ता उसके गांव की तरफ जाता है। उस बच्ची ने अपनी मां को इशारा करके बताया कि यह रास्ता उसके गांव की तरफ जाता है।
आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है। आज उस बात को बीते हुए करीब दस साल गुज़र चुका है।
कोई किसी को क्या दे दिलासा, कैसे पोंछे आंसू हाथ बंधे हुए, हर कोई बेबस, लाचार, उदास कोई किसी को क्या दे दिलासा, कैसे पोंछे आंसू हाथ बंधे हुए, हर कोई बेबस, लाचार...