अमावस की काली रात
अमावस की काली रात
ये है कॉलेज के समय की बात।
वो थी अमावस की काली रात।
लेट नाईट शो देख हॉस्टल आ रहा था।
मन ही मन कोई गाना भी गा रहा था।
हलकी हलकी हवा बह रही थी।
धीरे धीरे कानों में कुछ कह रही थी।
कुछ आवारा कुत्ते यूँ ही घूम रहे थे।
दो शराबी भी नशे में धुत झूम रहे थे।
मेरा हॉस्टल बस अब थोड़ी ही दूर था।
दिन भर से घूमता मैं थक कर चूर था।
अगले दिन रविवार का अवकाश था।
मुझे भी लम्बा सोने का अवसर तलाश था।
चलते चलते राह सूनी होती जा रही थी।
और दिल की धड़कन दूनी होती जा रही थी।
अब सड़क पर मैं अकेला चल रहा था।
और अँधेरा धीरे धीरे सब निगल रहा था।
कि अचानक कहीं से चीखने की आवाज़ आई।
थोड़ा घबराते हुए मैंने निगाह हर तरफ घुमाई।
कुछ तो दिखाई दिया एक पीपल के पेड़ पर।
न तो हाथ पैर थे उसके और न ही कोई सर।
गहरी धुंध के बीच में में एक सफ़ेद सा साया।
ऊपर नीचे नीचे ऊपर हिलता नज़र आया।
देख कर ये नज़ारा मेरी साँस अटकी रह गयी।
नींद और थकन की खुमारी भी कहीं बह गयी।
हॉस्टल में सुनी भूतों की कहानियाँ आ रही थीं याद।
मन में हनुमान चालीसा पढ़ते हुए करने लगा फ़रियाद।
चाल तेज होती जा रही थी और आ रहा था पसीना।
रक्षा करो बजरंग बली मुझे और अभी है जीना।
पेड़ पर कूदती सफ़ेद छाया अचानक से गुर्राई।
सुन जिसे जान मेरी कूद हलक में आई।
सरपट भागा राम नाम ले सीधा हॉस्टल द्वार।
लात मार खोल दरवाजा पहुँचा सीधे उस पार।
कमरे में जा कर बंद किये सब खिड़की दरवाजे।
कानों में रह रह कर बजते जाने कितने बाजे।
लेट पलंग पर खींच लिया पूरा कम्बल ऊपर अपने।
जाने कब में आँख लगी और आये भयावह सपने।
भोर हुई तो चैन मिला जब मैं उठ कर जागा।
सूरज सर पर चढ़ आया था फ़ौरन उठ कर भागा।
लेट हुआ तो नहीं मिलेगा आज मैस में खाना।
भूख जोर की लगी हुआ थी पेट माँगता दाना।
अंदर जा कर बैठ गया ले कर पूरी आलू।
साथी मेरे हँस रहे थे कोई कथा वहाँ थी चालू।
धोबी ने आखिर पकड़ लिया था अपना कपडा चोर।
कई दिनों से उसकी करतूतों का मचा हुआ था शोर।
इंसान नहीं कोई बन्दर था जो कपडे उठा ले जाता।
उन कपड़ों को पेड़ के ऊपर शाखों बीच छिपाता।
आज सुबह वो दिख गया एक चादर में लिपटा।
थका हुआ निढाल पड़ा था एक पेड़ में सिमटा।
खोये कपडे मिल गए तो हर्ष उमंग था छाया।
धोबी ने भी अपनी मुश्किल से आज छुटकारा पाया।
अब मैं समझा क्या देखा था मैंने बाहर कल रात।
भूत नहीं बस बन्दर था इतनी छोटी सी बात।
भूत प्रेत वहम है अपना इनसे कभी ना डरना।
ऐसी स्थिति आये अगर तो बुद्धि प्रयोग करना।
थी तो वो रात अमावस पर दिल में पूरा चाँद खिला।
एक बड़ा जरुरी सबक था जो मुझको आज मिला।

