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Shayra dr. Zeenat ahsaan

Drama Horror

4  

Shayra dr. Zeenat ahsaan

Drama Horror

डर

डर

2 mins
207


Prompt-15

हर तरफ दिख रही है परछाइयां

 शायद कोई साया मंडरा रहा है

अंधेरा और गहरा हो चला है

सपने ख़ाक को चुके हैं

सज रही हैं नित नई चिताएं


लगातार आ रही हैं कानों में चीखों की आवाज़ें

घबराते चेहरे एक-एक सांस को गिड़गिड़ाते

मायूसी, तड़प,अनिद्रा, खौफ

सभी मुखोटे पल-पल डरा रहे हैं


मुझे दिखाई दे रही हैं

अध जली लाशें

नोंच रहे हैं गिद्ध, कौवे, कुत्ते

नदी का बहाव रुक सा गया है

तैर रहे हैं मुर्दे हर थोड़ी दूर पर


मैं सुन रही हूं अपनी डूबती सांसो की 

आवाज

मेरे नथुनों में ऑक्सीजन लगा दी गई है

मैं सांस नहीं ले पा रही थी


मैं बिस्तर पर हूं

चांद निकला या सूरज मुझे नहीं मालूम

ना ही ये जानती कि आज कौन सा दिन या तारीख है

मैं इतना कभी नहीं डरी जितना कि आज

डर इस बात का था कि

यदि मैं मर गई तो क्या मेरे शव को भी नदी में बहा देंगे


या मरघट में जला देंगे

क्या मैं भी दूसरी लाशों की तरह पानी में 

उतराऊंगी

या किनारे में पड़ी रहूंगी

या मेरी भी अध जली देह को कुत्ते, गिद्द या कौवे नोचेंगे

मैं बेचैन हो उठी, सांसे जैसे फिर चल पड़ी


क्योंकि मैं भयमुक्त मरना चाहती थी


तमाम शंकाओं आशंकाओं से मुक्त


तोड़ देना चाहती थी भय की समस्दीत

वारें जो पक रही थीं मेरे भीतर कोरोना की भीषण आंच में

मै देखना चाहती थी अपने, अपनों का अपने प्रति प्रेम, समर्पण/

 तभी किसी ने कहा -तुम यूं ना रूठो


मुझे तुम्हारी ज़रुरत है

अधूरा हूं तुम्हारे बिन/

क्या ज़िन्दगी भर साथ निभाने का वादा भूल गई?

 मैं अचानक ठिठक गई/मेरी चेतना लौट आई

मेरी सोचो पर विराम लग गया

आसपास उड़ते काले साए लुप्त हो चले

होठ थरथरा उठे

आंखें खुल गई/अब मैं भयमुक्त थी

तुम्हारा हाथ मेरे हाथों में था।


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