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Shayra dr. Zeenat ahsaan

Abstract

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Shayra dr. Zeenat ahsaan

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दीपावली

दीपावली

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मन के सारे दीप जलाओ

द्वेश रोग को दूर भगाओ

दिवाली मिलकर मनाओ


खुशियों की फुलझड़ियां छूटे

अपने हमसे कभी ना रूठे 

 कोई रिश्ता अब ना टूटे 

 जीवन स्वर्ग बनाओ 


 दीप जलाओ दीप जलाओ

रबड़ी चम चम और बतासे 

प्रेम की चिट्ठियां हर कोई बांचे

रंगोली से भर गए सांचे 


आंगन द्वारे दीप सजाओ

दीप जलाओ दीप जलाओ 

सब के मुंह पर हो मुस्कान

रिश्तों का रखना तुम मान 


यही तो त्योहारों की पहचान

ऊंच-नीच का भेद मिटाओ 

दीप जलाओ दीप जलाओ।


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