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Shailaja Bhattad

Abstract

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Shailaja Bhattad

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मौन

मौन

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मौन ही शक्ति है

 मौन ही भक्ति है

 मौन ही मन का लगाम है

 हर उगती खरपतवार को करती हताश है

 मौन ही हर सवाल का जवाब है 


न कल जिंदगी सुधरी थी

 न आज बिगड़ी है

न कल जिंदगी खिलाफ थी

 न आज पक्ष में है

न कल का कद छोटा था 

 न आज का ही बड़ा है

बस फर्क यही आया है 

कि आज कल हो गया 

और कल आज हो गया


माना कि हाथों की लकीरें भूत, 

 भविष्य, वर्तमान बताती हैं  

 भविष्य का तो पता नहीं लेकिन, 

 हां मैंने वर्तमान को उकेरा है 

 हाथों की लकीरों में,

 कुछ जोड़- घटा कर 

 अपना आज समेटा है

 इसीलिए भूत संवर गया

 और वर्तमान भी संवर रहा है


जीवन खुशियों का 

मुसलसल प्रवाह है

मानो तो जन्नत

न मानो तो जीवन में 

अनगिनत विकार है


खट्टी-मीठी यादों के परवान चढ़ा

नया साल बीते को अलविदा कह आगे बढ़ गया

दिसंबर को भुला तो आया है 

जाने क्या राशि लाया है 

एक ही दिन की लाया है सुबह नई

 या देगा इस बार नई सुबह कई


कोविड-19 का जिक्र हर रोज होता है

 हर रोज फिक्र का एक नया किस्सा गढ़ता है

2020 गुजर गया लेकिन ,

2021 में भी आशंकाओं के बीज बोता है

एक ही दिन की लाया है सुबह नई

या देगा इस बार नई सुबह कई

जाने कितने सवालों से घेर लेता है


नया साल हमें नया मोड़ देगा 

2020 की छाया नहीं,

खुद का ही उसका

नया प्रतिबिंब होगा


नए साल से नई उम्मीदें

नए साल का उत्कर्ष

नई सोच का दामन थामे

झांक रहा नव वर्ष


नव वर्ष में नव सृजन होगा 

दुआओं में आप सबका साथ होगा

यही उम्मीद है कि,

नए साल का नया परिवेश होगा


नव वर्ष में नव सृजन होगा 

दुआओं में आप सबका साथ होगा

यही उम्मीद है कि,

नया साल नया परवाज लेगा


2021, पाँच का अंक लाया है 

बुद्धि का स्वामी बनकर आया है

जीवन पथ गतिमान होगा

ऐसा विश्वास लेकर आया है



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