उलझनों के पन्ने अनगिनत से हैं, एक आस लिए, मगर हताश हूँ। उलझनों के पन्ने अनगिनत से हैं, एक आस लिए, मगर हताश हूँ।
मुस्कान लिए जा रही है वापस एक नई जिंदगी के साथ। मुस्कान लिए जा रही है वापस एक नई जिंदगी के साथ।
जिसको आहत और भेदना था अपने हृदय के विकार को वो मुझे ही बना गया अपना मानो शिकार हो कर्मठ ... जिसको आहत और भेदना था अपने हृदय के विकार को वो मुझे ही बना गया अपना मान...
क्या इतनी व्यस्त थी कि, जिंदगी फिसलती गई, और पता भी ना पड़ा, जो जिंदगी थे हमारे, क्या इतनी व्यस्त थी कि, जिंदगी फिसलती गई, और पता भी ना पड़ा, जो जिंदगी थे हमार...
यत्न बिन हासिल कभी कुछ भी तो होता है नहीं। यत्न बिन हासिल कभी कुछ भी तो होता है नहीं।
सुकून मिले या ना मिले पर मैं तो चल रही हूँ आस में सुकून मिले या ना मिले पर मैं तो चल रही हूँ आस में