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मिली साहा

Abstract Inspirational

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मिली साहा

Abstract Inspirational

अकेलापन -कुछ सवालों के जवाब

अकेलापन -कुछ सवालों के जवाब

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कभी-कभी जिंदगी हमें इतना निराश कर देती है,

खुद में खुद का ही वजूद ढूंढते ढूंढते थक जाते हैं,

जो साथ चलते हैं वो भी बीच सफर में छोड़ जाते हैैं,

अपनेपन का विश्वास जगाकर फिर राहें मोड़ लेते है,


सबके साथ रहकर भी मेरी जिंदगी क्यों अकेली है,

लगता है मैंने अपने अकेलेपन से दोस्ती कर ली है,

खुद रोती हूं और खुद ही अपने आंसू पोंछ लेती हूं,

ज़िंदगी ने जो दिए कांटे मैं खुद ही निकाल लेती हूं,


आज क्यों मैं अकेली हूं क्या मुझमें ही कोई कमी है,

शायद जिंदगी की खुशियां मेरे नसीब में ही नहीं है,

अपने इन्हीं कुछ सवालों का समंदर दिल में लिए,

नदी की उफनती लहरों को वो एकटक देख रही है,


खामोश है जुबां पर उसकी आंखें कुछ बोल रही है,

ख़ामोशी में भी उसके अंदर जिज्ञासा झलक रही है,

सुनसान सी जगह है ना किसी का होता आना जाना,

लड़ रही है अकेलेपन से शायद कुछ चाहती है कहना,


जानना चाहती है प्रकृति से कुछ सवालों के जवाब,

क्यों इतनी मायूस सी है उसकी जिंदगी की किताब,

पूछ रही नदी से सवाल लहरों से खेलती तुम दिन-रात,

फिर मौज में कैसे बहती हो आखिर क्या है तुममें बात,


राह में जो आती कठिनाइयां पल में दूर कर देती हो,

चाहे कैसी भी हो मुश्किल अपनी राह चलती रहती हो,

मैं भी जीवन रूपी सागर में ऐसे ही चलना चाहती हूं,

एक नदी की तरह बस मौज में बहते रहना चाहती हूं,


पर हताश हो जाती लोगों की बातों से,रुक जाती हूं,

किसी के साथ की आशा अक्सर मन में पाल लेती हूं,

टूट जाती हूं मन के पिंजरे में खुद को बंद कर देती हूं,

उलझ जाती खुद के सवालों में जवाब न ढूंढ पाती हूं


सुनकर उसकी जिंदगी की दास्तां नदी उसे समझाती है,

कमजोर तू नहीं तेरा वक्त है खुद से क्यों नाराज़ होती है,

ये जिंदगी तुम्हें डराएगी मुश्किलें हर मोड़ पर आएंगी,

किसी के साथ की चाह में अपना सफर क्यों रोकती है,


चार दिन की है ज़िन्दगी यूं निराशा में उसे बर्बाद ना कर,

खुशियां तेरे आसपास हैं उसे ढूंढने की कोशिश तो कर,

खुद के लिए तो सब जीते तू औरों के लिए जीना सीख,

तो औरों की खुशी में ही तुझे अपनी खुशी मिल जाएगी,


कौन क्या कहता परवाह न कर बस मौज में बहती जा,

फिर देखना जिंदगी तुम्हारी कितनी आसान हो जाएगी,

नाराज़गी थी उसकी जिंदगी से जो आज सब दूर हो गई,

जिंदगी को फिर से जीने की एक आशा मन में जाग गई,


आई थी उदास वो नदी तट पर अपने अकेलेपन के साथ,

मुस्कान लिए जा रही है वापस एक नई जिंदगी के साथ।


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