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Uma Bali

Abstract Inspirational

3.6  

Uma Bali

Abstract Inspirational

आत्म अवलोकन

आत्म अवलोकन

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कितना अच्छा हो.......

गर अपने से बात करें

पूछे अपने आप से ढेरों प्रश्न 

और न्यायोचित व्यवहार करें!!!!


पूछें क्या चाहते हैं 

हम?

किस बात के है कितने

भ्रम ?

किस किस को नाराज़ किया

किस किस से नाराज़ हुए

हम ?


कितना अच्छा हो...........

गर स्व पर प्रहार करें

और निष्पक्ष हो स्वीकार करें!!!!


देखे, कितनी गाँठें 

खुली नहीं है ?

कितनी परतें 

धुली नहीं हैं ?

कितने धोखे 

बंद पड़े हैं ?

कितने झगड़े 

अभी अडे़ हैं ?


कितना अच्छा हो.......

इन सब को दरकिनार करें

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, 255, 0);">और सीधे सरल विचार करें!!!!!


सोचें, ख़ुशी के क्या है 

माने?

जीवन जीने के क्या है

बहाने ?

खिलखिला कर हँसें बीत गये

कितने अरसे कितने

ज़माने ?


कितना अच्छा हो.......

गर खुल कर इज़हार करें

बस प्यार का कारोबार करें!!!!!


जाने, क्या खोया क्या 

पाया ?

कितनी धूप थी कितनी

छाया ?

अपने अहम को ढोते ढोते

कहीं यूँ ही तो समय नहीं 

गवाया ?


कितना अच्छा हो......

ग़र अवलोकन साभार करें

और जीवन का उद्धार करें!!!!!!!!!


कितना अच्छा हो....

गर अपने से बात करें!!!


             



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