आत्म अवलोकन
आत्म अवलोकन
कितना अच्छा हो.......
गर अपने से बात करें
पूछे अपने आप से ढेरों प्रश्न
और न्यायोचित व्यवहार करें!!!!
पूछें क्या चाहते हैं
हम?
किस बात के है कितने
भ्रम ?
किस किस को नाराज़ किया
किस किस से नाराज़ हुए
हम ?
कितना अच्छा हो...........
गर स्व पर प्रहार करें
और निष्पक्ष हो स्वीकार करें!!!!
देखे, कितनी गाँठें
खुली नहीं है ?
कितनी परतें
धुली नहीं हैं ?
कितने धोखे
बंद पड़े हैं ?
कितने झगड़े
अभी अडे़ हैं ?
कितना अच्छा हो.......
इन सब को दरकिनार करें
, 255, 0);">और सीधे सरल विचार करें!!!!!
सोचें, ख़ुशी के क्या है
माने?
जीवन जीने के क्या है
बहाने ?
खिलखिला कर हँसें बीत गये
कितने अरसे कितने
ज़माने ?
कितना अच्छा हो.......
गर खुल कर इज़हार करें
बस प्यार का कारोबार करें!!!!!
जाने, क्या खोया क्या
पाया ?
कितनी धूप थी कितनी
छाया ?
अपने अहम को ढोते ढोते
कहीं यूँ ही तो समय नहीं
गवाया ?
कितना अच्छा हो......
ग़र अवलोकन साभार करें
और जीवन का उद्धार करें!!!!!!!!!
कितना अच्छा हो....
गर अपने से बात करें!!!