वो………..
वो………..
वो नाराज़ हो गया मुझसे
न जाने क्या ख़ता हुई
क़िस्मत क्यों रूठ गई !!
अभी कल तक मेरे साथ था
उसके होने का
ख़ूबसूरत एहसास था !!
सुबह होते ही मुंह उसका फूल गया
मेरा भोला मन संवेदनाओं में झूल गया !!
मीठी बातें मेरे मन में हलचल मचाने लगी
मेरे सपनों को फिर से जगाने लगी !!
अभी कल ही कानों में गुनगुना रहा था
और प्यार भरे नग़में सुना रहा था !!
अब दुविधा में हूँ बतियाऊं किससे
इस महामारी में ये दुखड़ा सुनाऊँ किसे !!
पल पल गुज़रना हो गया है मुश्किल
हाय रे ये कमबख़्त इश्क़ और मेरा दिल !!
चेहरे की रंगत उड़न छू हो गई
काम करने की हिम्मत भी कहीं खो गई !!
मेरी ज़िंदगी जैसे वीरान थी
हलक में अटकी मेरी जान थी !!
वो था बैठा मुंह फुलाए और
मेरे कान आतुर वो मुझे बुलाए !!
दिन ढला शाम हुई रात आने को थी
उसकी मर्जी भी मुझे रुलाने की थी !!
एक मीठी आवाज़ ने जैसे ही कानों को छुआ !!
हृदय में अद्भुत सा स्पंदन हुआ
बावरी हो भागी मैं उससे गले मिलने
न जाने कितनी दुआएँ दे डाली इस शातिर दिल ने !!
भूल गई एकाएक मैं सारे संसार को
समझ रही थी मैं अनकहे प्यार को !!
वो.....प्यारा मेरा मोबाइल था
जिसने मेरी जान ली थी
सुबह से डैड पड़ा था अभी
उसकी आंख खुली थी !!!!!