तुम मत होना अभी बड़ी ……
तुम मत होना अभी बड़ी ……
तुम मत होना अभी बड़ी ….
कि उन्मुक्त हवा में हो विचरती,
खेल खेल अठखेलियाँ करती,
सुंदर ,सुकुमार कलियों सी तुम,
डाली डाली खिलती हंसती।
तुम मत होना अभी बड़ी …..
कि ममता बैठी बाँहें पसारे,
प्यार भरे दिन रैन तुम्हारे ,
हँसना ,रोना,खिल-खिल जाना,
सब रंग एक से एक हैं न्यारे ।
तुम मत होना अभी बड़ी ……
कि अभी तो जग है सुंदर सपना,
कौन पराया,कौन है अपना,
बाँट बाँट लेती हो प्यार ,
भूल भाल के सब कुछ अपना।
तुम मत होना अभी बड़ी …….
कि छूत-छात क्या जानो हो तुम,
भेद भाव क्या मानो हो तुम,
ज्ञान अज्ञान से परे परे हो,
सब को अपना मानो हो तुम।
तुम मत होना अभी बड़ी ………
कि पहरे फिर लग जाने वाले,
हर नज़र करेगी चौकसी,
ये दिन नहीं वापिस आने वाले,
बेफ़िक्री ,मस्ती और मतवाले,
निश्छल प्यार अनुभूति वाले,
ये दिन नहीं वापिस आने वाले॥