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shaily Tripathi

Children Stories Inspirational

5.0  

shaily Tripathi

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भाग्यविधाता (day 4)

भाग्यविधाता (day 4)

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देश देखता राह तुम्हारी बच्चों भारतवर्ष के, 

मेहनत और परिश्रम से उन्नति ले आओ अर्श से, 

जागो बच्चों भरत-भूमि के, आह्वान है देश का

भारत को उन्नत करने का ज़िम्मा है अब आपका

खोजों नहीं नौकरी, नौकर बनकर, क्या पा जाओगे 

ख़ुद की खेती रोज़गार से आगे बढ़ते जाओगे, 

अन्तहीन हैं क्षितिज असीमित धन-यश है, सम्मान है

उत्तम खेती, मध्यम धंधे, चाकर भिक्षु समान हैं, 

हमने नहीं कहा ये पुरखे कहते आये बरसों से 

चाकर बन कर नाचोगे, नौकरशाही के फण्दों में 


सरकारी नौकर विकास की दिशा नहीं बन सकते हैं, 

बंधे कायदे में ऊँची, उड़ान नहीं भर सकते हैं, 

अपने भाग्य विधाता ख़ुद बन,भाग्य देश का चमकाओ, 

टाटा, बिड़ला, अम्बानी से, आगे खूब निकल जाओ 

देखो देश प्रगति के पथ पर, तीव्र वेग से दौड़ रहा, 

विकसित देशों को भ

ी अब तो, अपने पीछे छोड़ रहा, 

राहें हैं असीम उन्नति की, उन राहों पर पाँव धरो, 

बाहें नहीं, पंख फैलाओ, तुम ऊंचे आकाश छुओ, 

सकल घरेलू उत्पादों को, इतना अधिक बढ़ाओ तुम, 

अस्त्र, शस्त्र और युद्धपोत तक, अपने आप बनाओ तुम, 

सॉफ्ट वेयर और हार्ड वेयर के नव प्रयोग कर दिखलाओ, 

नव उद्योग, नए कल पुर्जे, नव विकास जग में लाओ 

खाद्य तेल, आणविक ऊर्जा, बाहर से आयात न हो, 

तकनीकी उन्नत हो इतनी, भारत से निर्यात करो, 


तुम हो शक्तिवान, तेजस्वी, भारत के रखवाले हो, 

अपनी कीर्ति ध्वजा, मंगलग्रह तक, पहुंचाने वाले हो, 

सौर ऊर्जा उपजाओ, जल संरक्षण की फ़िक्र करो,

मानव में क्षमता अनंत है, अपने पर विश्वास करो 

तुम चाहो तो देश नहीं, संसार बदल कर रख दोगे, 

भोगी हुई दासता का, इतिहास बदल कर रख दोगे।



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