वसंत मिल गया
वसंत मिल गया
घर से निकली तो 'बसंत' मिल गया,
प्रकृति का रूप कैसा निखारा गया
पेड़ों पर नए पत्ते थे,
पौधे फूल से लदकर, महकते थे।
हवायें मंद थीं, उनमें सुगंध थी,
सरस्वती की पूजा थी,
बसंत पंचमी की धूम थी
रंगीन पतंगें हवा में झूमती थीं
गुलमोहर लाल, अमलतास पीला थे,
कचनार लाज से गुलाबी,
सहजन सफेद से, सजीले थे।
शहतूत की मिठास से ,
टिकोरों की खटास से
परिन्दे प्रसन्न थे, खूब चहकते थे,
मधुप, मधुमाखी प्रमत्त थे,
नीम के फूल झड़ रहे थे,
सिरस सज कर खड़ा था
सेमल की लाली से, पलाश जल रहा था
पपीहे ने बताया, कोयल ने गाया
लो बसंत आया! मधुमास लाया !