पर्यावरण ना प्रदूषित हो
पर्यावरण ना प्रदूषित हो
बागीचा मेरा खिलखिला रहा है,
सुंदर सुंदर फूल खिले हैं सारे !
गुलाब बेला रजनीगंधा उगे हैं,
मेरी फुलवारी में बड़े प्यारे प्यारे !
पीले लाल सफेद बैगनी ,
अनेक रंग हैं गुलाबों के !
महके बगिया गुलाबी गुलाब से,
रंग कुछ सजे यूँ ख्वाबों के !
नई पौध के नौनिहालों ,
सीख लो तुम भी पेड उगाना !
फूलों से बनते इत्र व प्रसाधन,
बात ये कभी तुम भूल ना जाना!
पर्यावरण अपना प्रदूषित ना हो,
प्रकृति को हरी भरी सी रखो !
प्राण वायु देते पेड़ पौधे,
इस बात को भी सदा याद रखो!
तुलसी को आँगन में सजा लखो,
पूजन में नित्य काम आते देखो!
आम अमरुद ज़रूर लगाओ,
और अपनी मेहनत का स्वाद चखो!
अब लो संकल्प कि पेड़ रोपो,
ताजी ताजी हवा और धूप सेंको!
वसुंधरा की करुण पुकार सुनो,
प्रकृति प्रदत्त संसाधन को चुनो।