थकना मत चारागर
थकना मत चारागर


रास्ते सभी लगने लगे हैं वीरान
साथी सभी निकल गए आगे
हो गया मेरा कमरा भी सुनसान
जहां गूंजते थे हंसी के ठहाके
वह परिवार जिसपर लुटाता रहा
अपने जीवन का हर अरमान
लगता है अब कुछ भी मेरा नहीं
सिर्फ खालीपन का अब सामान
अपने ही घर में बन गया जैसे
बिन बुलाया मेहमान
दूरियों ने कब कर लिया कब्ज़ा
कब प्यार बन गया अहसान
मालूम ही न पड़ा कब और कैसे
बदल गए इंसान
कब ऊंची आवाज़ ने अचानक
चौंका दिया था मुझे
कब से दबी आवाज़ में आ गए
हम सबके दरमियान
रोब और अधिकार के साए
जो बनाने लगे गए हैं मुझे बेजुबान
जो अब तक खेले हमारे साये में
आज उनकी हां या ना ही चले
इस सच से अब तक था अनजान
अब हो गए हैं वो बड़े, मैं छोटा
बदल गए हैं सब आयाम
कहां से आएगा जवाब
बदल गए हैं सब आयाम
दें दोष किसे-हम सभी हैं इंसान ?
छलनी कर दिया दिल को ऐसे
मचा दिया एक ऐसा तूफ़ान
उंगली पकड़ जो चलते थे साथ
आज देते हैं फ़रमान
सोचा नहीं था आएगा दिन ऐसा
पर आ गया है आज वह मुकाम
जब उद्विग्न दिल और दिमाग
दोनों को देनी पड़ेगी लगाम
अगर चल ही पड़ा है सिलसिला
दरारों का ,शुरू हुआ इम्तिहान
हम सभी का--तो खोल दें आज
वह बही खाता ,रहे न कोई अनुमान
खुशियों ने जब दी दस्तक हमारे दर पर
हम थे तत्पर लुटाने उन पर हर आराम
यहीं से बदल गई थी जीवन की परिभाषा
बेटे बेटियों की खुशियों से था बस काम
खो गए हम किस भूल भुलैय्या में
क्यों नहीं सोचा क्या होगा परिणाम
&nb
sp; सब कुछ अपना दिया ज़रूर
पर देख नहीं पाए अंजाम
शायद यह सिखाने की ज़रूरत न समझी
कि कभी कभी हमें भी होती है थकान
कभी लगता है हमें बिठा कर प्यार से
पूछे हमारा हाल दें हमें सम्मान
पर थी नादानी यह हमारी, नासमझी अपनी
बना दिया स्वार्थी उन्हें, बन कर बेजुबान
आज़ादी की ललक अब घर कर गई उनमें
हम हों गए हैं-अपने ही घर में मेहमान
अब ,जब बदल ही गए हैं आयाम
बदलेंगे हम भी ,नहीं करेंगे गिला तुमसे
शिकवा शिकायत नहीं ,न चर्चा सरे आम
ना आंखों में आने देंगे आंसुओं की नमी
ज़िन्दगी ज़िन्दा दिली का हैं नाम
किसी की राह का रोड़ा नहीं बनेंगे हम
राह नई ढूंढ ही लेंगे ,एक नया आयाम
मगर किसी को रौंदने की इजाजत नहीं
थक गए हैं तो क्या, टूट गए हैं तो क्या
हम वह चारागर हैं जो मानेंगे नहीं हार
आज हमारे जैसे कितने ही मां बाप
निकल पड़े हैं एक नई दुनिया की ओर
अग्रसर उस नए आनन्द निलय की ओर
जहां नए सिरे से होगी शुरुआत
अनुभव की आधारशिला से सजी
रिश्तों की एक अद्भुत नई मिसाल
जहां दुख दर्द को अपनाना
दोस्ती और स्नेह की रस्म निभाना
जानें सभी ,जहां छल कपट की
रहे न गुंजाइश - न दरकार।
अपने तब तक हैं अपने, जब तक साथ निभाएं
चाहे वह हो अपनी ही संतान
थकना मत चारागर, जीवन का बाक़ी सफ़र
तय करना है हंसी खुशी।।
ज़रूरी नहीं यह हो हर परिवार की कहानी
मगर आज , चाहें न चाहें , माने न मानें
मगर ज़िंदगी का सच बनी यह परेशानी
अपेक्षाओं का जवाब उपेक्षा, धीरे धीरे सब जानें
परिवार को जोड़े रखना हो गर, हक न जमाना उनपर
हर मोड़ पर अपनी भी हदें पहचानें
नई पीढ़ी , नया अंदाज़, नई आज़ादी, नए आयाम
कर दें उन्हें आज़ाद, हो जाएं ख़ुद आज़ाद
होगी शुरुआत ख़ूबसूरत एक दोस्ती की