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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

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Meena Mallavarapu

Abstract Inspirational

यादगार हर सफ़र

यादगार हर सफ़र

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 किस ओर बढ़ाऊं कदम

जिस ओर चाहे बढ़ा ले कदम

 चुन ले चाहे तू कोई भी राह

सच मान फ़र्क नहीं पड़ता

हर राह अपनी जगह

खूबसूरत वह कहीं कहीं

कांटो भरी कहीं कहीं


 उबड़ खाबड़ हो रास्ता या समतल

 खूबियों ख़ामियों के बिना

दलदल,कीचड़ नालों के बिना

कब मिला किसी को-क्या है इसका हल

चाहे हर कोई ऐशो आराम

दुख दर्द की कहानी कौन चुने-

कुदरत का इंतज़ाम बेमिसाल


 ऐशो आराम के भी चुकाने पड़ते दाम

 सब कुछ एक साथ न दिया,कुछ रख लिया

ज़िंदगी ने अपने हाथ

फ़ितरत हम इंसानों की थी मालूम उसे

ख़ुशियों की अति कर देगी मदहोश हमे

दुख दर्द का भी कुछ हिस्सा पकड़ाया साथ-साथ

 राहों की सच्चाई भी यही- नहीं अलग इससे

संतुलन का सबक सिखाना था शायद हमें


फूल ही फूल राहों में नहीं बिछे,समझाना था हमें

बस हो नज़रिया सही-

बन जाए हर राह सुन्दर नज़रिए से ही !


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