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Anoopama Tripathi

Abstract

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Anoopama Tripathi

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स्त्री

स्त्री

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प्रेम की सहभागिता कौन निभाता है

कौन स्त्री के हर प्रश्न का उत्तर दे पाता है

प्रेम से ही जन्म और प्रेम में ही मरण 

इतना प्रेम भरा जीवन होता है

पर हमेशा स्त्रियों को ही प्रेम के लिए तरसते देखा

 

स्त्री जीवन संघर्ष का जीवन

गर्भ में 9 मास रह जाने का संघर्ष

उसके धरती पर आने के बाद

शुरू होता है अनंत समय तक

अपने आपको सुरक्षित रखने का संघर्ष

विवाह उपरांत अपने सभी कार्य से

सबको खुश करने का संघर्ष

माँ बनने के बाद माँ के

हर दायित्व के लिए संघर्ष

इतन

े सारे रिश्ते निभाते निभाते

खुद को खोज पाने का संघर्ष

समाज मे कितना भी और

कैसे भी ओहदे पर पहुँच कर

ख़ुद की काबिलियत को बताने का संघर्ष


पर समझता कौन है

अपने आस पास देखो तो

सहभागिता के लिए कोई नहीं

माँ के घर, तुम्हें दूसरे घर जाना है

पति के साथ कभी लड़ाई,

एक पल में तुम अपने घर चली जाओ

अरे कौन सा घर 

और कहाँ चली जाए

प्रेम या कठोरता, क्या हिस्से आता है।


सारे दर्द को अपने हृदय में लिए

खुद प्रेम के लिए तरसती स्त्री



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