आओ सृजन करें
आओ सृजन करें
आज जब हम एक नए दशक के आग़ाज़ में आँखे बिछाए बैठे हैं,
एक बात तो स्पष्ट है, कि चलती का नाम ज़िंदगी।
कि ज़िंदगी समुद्र की उन लहरों की तरह है,
जो पल भर के लिए एक नया अनुभव ज़रूर देती हैं,
पर फिर समुद्र की गहराइयो में विलीन होजाती हैं।
दस वर्षों में कितना कुछ बदल गया,
मानो मेरे अस्तित्व की परिभाषा ही बदल गयी, मैं कितना बदल गयी।
वो बचपन की मासूमियत नजाने कहाँ खो गयी,
वो बेफ़िक्री कब पल पल की फ़िक्र में बदल गयी।
वो सादगी कि बेवजह मुस्कुरा दिया करते थे,
कब बेवजह मुस्कुराने की वजह ढूंडने में बदल गयी।
तब बस कदम बड़ाते थे और मंज़िल मिल जाया करती थी,
और अब हर कदम फूंक फूंक के रखा करते हैं।
तब कदम डगमगाया नहीं कि माता पिता
सम्भालने के लिए पहले आ जाते थे,
अब गिर जाने पर भी कोई उठाने वाला नहीं है।
तब मम्मा पापा की डाट से बचने के लिए कभी
कभी झूठ बोल दिया करते थे, और अब उन्हें दुःख ना पहुँचे,
ये सोचके सारे ग़म छुपा दिया करते हैं।
तब बचपन भुलाकर जवान होने की जल्दी थी,
और अब दिल में बचपना जगाया करते हैं।
तब स्कूल कॉलेज ख़त्म कर असली दुनिया देखने की जल्दी थी,
और अब दुनिया देखली तो लगता है कि कहाँ गए वो दिन,
काश कोईलौटा दे मेरे वो बचपन के दिन।
तब हर नुक्कड़ पर एक नया दोस्त बनाया करते थे,
और अब एक भी सच्चा दोस्त मिल जाए, उसी में खुश हो जाते हैं।
तब दोस्तों का साथ कभी ना छोड़ेंगे, ये सच्चे वादे किया करते थे,
और अब उन्ही दोस्तों से मिलने में सालों लगा देते हैं।
जिन माता पिता, भाई बहनों के बिना एक पल नहीं गुजरता था,
अब उनसे दो पल बात कर लिया करते हैं।
जिन गलियारों में खेल कूद के बड़े हुए,
अब उन्हें बस दूर से ही निहारके खुश हो जाया करते हैं।
तब बाहरी दुनिया को तलाशने की होड़ थी मन में,
पर अब अंदर की गहराइयो को तलाशना चाहते हैं।
तब कही और जन्नत ढूंडने में व्यस्त थे,
पर अब अपने अंदर स्वर्ग बसाना चाहते हैं।
एक नए अस्तित्व का सृजन करना चाहते हैं।
तो आओ मिलके सृजन करें, नए दशक के साथ
साथ, एक नए जीवन का भी सृजन करें।
अपने भीतर के दानवों को नष्ट कर,
एक नयी रोशनी का सृजन करें।
अपनी आभा को थोड़ा और निखारकर,
एक नए वर्ष का आग़ाज़ करें।
एक नए दशक के सृजन के साथ ही,
एक नए आत्मविश्वास का सृजन करें।
आओ एक नए जीवन का सृजन करें।।
