STORYMIRROR

Abhishek Singh

Abstract

4  

Abhishek Singh

Abstract

मानवता का अभाव..!

मानवता का अभाव..!

1 min
623

क्यों कोसते सरकारों को,

रोकते, भागाते प्रपंचकारों को।

पत्थर मारने वालों को,

देश तोड़ने वालों को।


क्यों कोसते जवानों को,

वर्दी पहनने वालों को।

देश बचाने वालों को,

आतंक से लड़ने वालों को।


लड़ते बढ़ते हाथ बढ़ाते,

जोड़ सबको साथ लाते।

जाती धर्म का बंधन हटाते,

मानवता का पाठ पढ़ाते।


हूँ मैं देश सबका वतन,

उजाड़ो न तुम मेरा चमन।

भिन्न प्रकार के फूल हैं खिलते,

फिर आके मुझमें ही मिलते।


छिनों न तुम इनसे सुगंध,

मिट्टी की है तुझे सौगंध।

रोक लो तुम द्वेष को,

बिखरने न दो देश को।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract