उसकी चुनरी..!
उसकी चुनरी..!
उसकी चुनरी मेरे
हर इरादे जानती है
वो बेख़ौफ़ मैं बेशर्म
मेरी हर बात जानती है
चाहती तो बेनकाब
कर सकती थी मुझे
शायद उसको इश्क़ था मुझसे
इसलिए दिल-ए ज़ुबान
कुछ नहीं बताती है
उसकी चुनरी मेरे
हर इरादे जानती है
वो बेख़ौफ़ मैं बेशर्म
मेरी हर बात जानती है
हो अंधेरी या चाँदनी रात
दरमियाँ रखती हर एक बात
इश्क़-मोहब्बत,नफ़रत-उल्फत
या हो दो ज़िस्मों की मुज़्मर बात
उसकी चुनरी मेरे
हर इरादे जानती है
वो बेख़ौफ़ मैं बेशर्म
मेरी हर बात जानती है
मुज़्मर-छुपी हुई बात।