निकल पाती ही नहीं कहीं मैं घर से चाहूँ जितना, डर का मेरे खुले बाज़ार में लगाता मोल निकल पाती ही नहीं कहीं मैं घर से चाहूँ जितना, डर का मेरे खुले बाज़ार में लगात...
याद आते हैं वो दिन बेफिक्री के, जब ना सोच थी, ना समझ और ना अक्ल यारो। अब लगता है क्यों हो गये हम सम... याद आते हैं वो दिन बेफिक्री के, जब ना सोच थी, ना समझ और ना अक्ल यारो। अब लगता ह...
अंदर था एक टूटा हुआ इंसान और टूटा हुआ घर। अंदर था एक टूटा हुआ इंसान और टूटा हुआ घर।
हर इरादे जानती है वो बेख़ौफ़ मैं बेशर्म मेरी हर बात जानती है मुज़्मर-छुपी हुई बात। हर इरादे जानती है वो बेख़ौफ़ मैं बेशर्म मेरी हर बात जानती है मुज़्मर-छु...
होती होंगी बदचलन, चरित्रहीन, बेशर्म, आवारा, छोड़ी हुई... होती होंगी बदचलन, चरित्रहीन, बेशर्म, आवारा, छोड़ी हुई...
वो बेशरम लड़की अपने ख़्वाबों को ज़ुबां देती है ! वो बेशरम लड़की अपने ख़्वाबों को ज़ुबां देती है !