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Abhishek Singh

Abstract

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Abhishek Singh

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समुद्र एक कविता

समुद्र एक कविता

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समुद्र एक कविता है 

जो हर अंजुम का राज़ छुपाती है

भर दरिया आँसुओं का

लहरों पे मुस्कुराती है


कभी सुकून तो कभी जुम्बिश

बहा किनारे लाती है

समुद्र एक कविता है

जो सबका राज़ छुपाती है


गर्त में कहीं उठा है तूफ़ान

सतह पे आ चमचमाती है

समुद्र एक कविता है

जो ख़ुद का दर्द पी जाती है!


जुम्बिश -हलचल



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