मेरा कुछ सामान
मेरा कुछ सामान
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मेरा कुछ समान,
तुम्हारे पास पड़ा है।
सावन में भीगे वो दिन,
दीवाली की शाम पड़ी है।
वो रात दिला दो,
मेरा सामान लौटा दो।
मेरा कुछ समान,
तुम्हारे पास पड़ा है।
गालों से रंगे गाल,
सर्द की मीठी धूप पड़ी है।
वो सफर दिला दो,
मेरा सामान लौटा दो।
मेरा कुछ समान,
तुम्हारे पास पड़ा है।
छुप-छुप के लिखे जो खत,
खत में लिखी हर बात पड़ी है।
वो खत मिटा दो,
मेरा सामान लौटा दो।
मेरा कुछ समान,
तुम्हारे पास पड़ा है।
एक एक दिन बिताए जो साथ,
हर साथ की याद पड़ी है।
वो याद मिटा दो,
मेरा सामान लौटा दो।