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Sudha Singh 'vyaghr'

Abstract

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Sudha Singh 'vyaghr'

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मेरा आधिकारिक अवकाश

मेरा आधिकारिक अवकाश

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वो जो

इतवार के

एक दिन का

आधिकारिक

अवकाश

मिलता है मुझे

कहो,

अपनी कहूँ या

फिर सुनूँ उनकी

या फिर से

वही करूँ...

जो

सदा से करती आई हूँ -

घर के रोजमर्रा के काम

या

छः दिन के दफ़्तर

के कामकाज से

छुटकारा पा

करूँ वो..

जो

अच्छा लगता है मुझे

बस, केवल एक दिन

पर

अगर मैं भी

अपना इतवार मनाऊँ,

तो क्या

वे कहना छोड़ देंगे

"जो औरतें बाहर काम करती हैं

वे घर भी तो संभालती हैं।

कुछ खास नहीं कर रही हो तुम । "


हाँ,

सभी औरतें

संभालती हैं

घर और बाहर दोनों

अपनी पूरी जिम्मेदारी के साथ।

इतवार पर अधिकार

केवल पुरुष का है

किन्तु पुरुष नहीं कर सकते

स्त्री से बराबरी

हाँ,

स्त्री और पुरुष की

कोई बराबरी नहीं

क्योंकि स्त्रियाँ वार देती हैं

अपने सारे इतवार

अपने सारे अधिकार

अपने परिवार पर

वही जो पुरुष नहीं कर सकता

क्योंकि स्त्री और पुरुष

का कोई मुकाबला नहीं है।


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