Sudha Singh 'vyaghr'
Abstract
ममता माया में मढ़ी, मानो माँ का मोल
महिधर महिमा में झुके, महतारी अनमोल।
महतारी अनमोल, न माँ की करो अवज्ञा
रख लो माँ का मान, चला लो अपनी प्रज्ञा।
सुनु सुधा समझावति, मात की समझो महता
माँ सम महा न कोय, नहीं माता सी ममता।
समय की रेत फ़...
मेरा आधिकारिक...
स्याह परतों क...
जिजीविषा
हाइकू
आत्म क्षुधा य...
ग़ज़ल
मुझको भी आलोक...
ममता
माटी मेरे गाँ...
जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूरा करते दे जब मैं बोल भी नहीं पाता था.. सिर्फ़ मेरे इशारों से मैंने उन्हें हर ख्वाहिश पूर...
यह मुझे समझ नहीं आता इतना समझने की जरूरत भी क्या है यह मुझे समझ नहीं आता इतना समझने की जरूरत भी क्या है
आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं? आजादी का मतलब क्या है हम आप जानते हैं?
द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो? द्रौपदी की करुणा पुकार क्यों नहीं सुन पा रहे हो?
तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हारे पैरों के नीचे एक ... तुम्हारा खड़ा होना, मेरे मन की चौखट पर और मेरे इंतजार का बिखरना, तुम्हा...
अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां अभी नहीं मालूम जीवन की कड़वी सच्चाइयां
गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक महसूस किय गुलामी की बेड़ियों को हमने कई वर्षों तक सहा है, क्या होती गुलामी लंबे समय तक ...
यह कैसा आगाज है, जिसका दिखे न छोर। समय व्यर्थ होता रहे, हो जाता मन बोर। यह कैसा आगाज है, जिसका दिखे न छोर। समय व्यर्थ होता रहे, हो जाता मन बोर।
कई शासक तो युद्ध शिविरों में, करते शामिल नच लड़कियों को, कई शासक तो युद्ध शिविरों में, करते शामिल नच लड़कियों को,
हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं. हमने अंग्रेज़ी में सोचना सीख लिया है, पर हम महसूस हिंदुस्तानी में करते हैं.
थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं थम सी जाती ज़िन्दगी और समय चक्र मुस्कुराता कहीं
सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं सूरज की किरणों से आज, स्वयं नग्न जल जाऊं मैं
शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्पहार से, अनघ हृद... शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्...
तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है तब राम का नाम जुबां पे आता तो है फिर भी वह सत्य को झुठलाता है
ये पिंजरा ना भाता मुझको मुझे तिनकों का नीड़ बनाने दो ये पिंजरा ना भाता मुझको मुझे तिनकों का नीड़ बनाने दो
तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में, तेरा बुत बनू और बंद रहूँ मंदिर के तालों में,
प्यार लुटाने वाला ही जग में आकाश कहा जाता है। प्यार लुटाने वाला ही जग में आकाश कहा जाता है।
अपने आपको ही बेवकूफ बनते हैं खुद ही खुद को गुमराह करते हैं अपने आपको ही बेवकूफ बनते हैं खुद ही खुद को गुमराह करते हैं
मन की सारी बात बताना ए दोस्त तू कल फिर आना. मन की सारी बात बताना ए दोस्त तू कल फिर आना.