दुआओं में है वो
दुआओं में है वो


दुआओं में हैं वो मेरी शाम-ओ-सहर अब तो
उसके ख़यालों में बीत जाए ये सहर अब तो
महफ़िल-ए-ख़्वाहिश फिर रंग जमाने लगी है
कि होने लगा है उसके नाम ये पहर अब तो
दुनिया के लाख चेहरे मीठी हँसी हँसते हैं
लगे हर लफ्ज़ उसका मुझे जहर अब तो
टूटने लगा है दिल मेरा बेरुखी से उसकी
बरसने लगा है मुझपर ये कहर अब तो
कोई पूछे तो कह दूँ ‘वेद’ का अफसाना
बेगाना लगता है अपना ये शहर अब तो