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Anjneet Nijjar

Abstract

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Anjneet Nijjar

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सुनहरे पल

सुनहरे पल

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कुछ याद भी है

कुछ भूले बैठे है

कड़वे-मीठे पल ज़िंदगी में घुले बैठे है

मुश्किल है कड़वे पलों को भूलना

पर मीठे पलों को सहेजना

ज्यादा जरुरी है


और भूलना जरूरी है कड़वी यादों को

जो ज़हन को झिंझोरती रहती पल पल

पल पल ज़िंदगी से दूर ले जाते

यह कड़वे पल

तो क्यों किसी कड़वी याद को

इतनी अहमियत देना


क्यों न याद किये जाए मीठे

सुनहरी पल

ज़िंदगी के करीब ले जाते

उससे आत्मीयता निभाते

हँसाते-गुदगुदाते नई

ऊर्जा को दीप्तिमान करते

क्या ज़रूरी है खुद के लिए ?


इतनी समझ जरुरी है हर किसी के लिए

सहेजे हमेशा जरुरी हिस्से को

ख़ुशी देते हर किस्से को

नहीं है जरुरी हर उस पल को समेटना


जो दुःख और अवसाद बढ़ाए

ज़िंदगी से दूर ले जाए

निर्णय कठिन नहीं

सोचे-विचारे, कल को स्वारें।


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