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Anjneet Nijjar

Romance

4  

Anjneet Nijjar

Romance

तुम्हारी याद

तुम्हारी याद

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तुम्हारी याद ,

अगर सच कहूँ तो

तुम्हें याद नहीं करती मैं,

तुम ख़ुद ही याद आ जाते हो,

ठीक वैसे ही

जैसे खिड़की पर लगे गुलाब में फूल;

गर तुम पूछो कि याद क्यों आईं,

मैं कहूँगी मुझे नहीं मालूम,

क्योंकि मुझे नहीं मालूम कि उस पौधे में फूल क्यों आए

बस इतना जानती हूँ कि उन्हें आना चाहिए,

शायद इसलिए कि

उस पर अगर फूल न लगे

तो वो कुछ ख़ास अच्छा नहीं लगता..

तुम्हारी यादें उस गुलाब के फूल जैसी हैं

जो न हों तो अच्छा सा नही लगता !!


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